AN UNBIASED VIEW OF रंगीला बाबा का खेल

An Unbiased View of रंगीला बाबा का खेल

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छत्तीसगढ़ दशहरा के दिन दर्दनाक हादसा: घर में खेलते समय पानी भरे टब में गिरी मासूम, डूबने से हुई मौत

उज्जैन के राजा का अद्भुत श्रृंगार, आज महाकाल को चढ़ा भांग, चंदन, त्रिपुंड, बाबा को गहने भी पहनाए

दिल्ली के ग्रेटर कैलाश इलाके में बीते महीने हुए जिम मालिक हत्याकांड में पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है। मामले में गिरफ्तार गैंगस्टर हाशिम बाबा ने हत्याकांड से जुड़ी जो बात अपने कबूलनामे में पुलिस को बताई है, वो चौंकाने वाली है।

मरक़ए दिल्ली में कहा गया है, "सदा रंग जैसे ही अपने नाख़ून से साज़ के तार छेड़ता है दिलों से बेख़्तियार होकर निकलती है और जैसे ही उस के गले से आवाज़ निकलती है, लगता है बदन से जान निकल गई."

भक्तों के मुताबिक जब बाबा भोले अपने अनुयायियों को प्रवचन देते थे तो उनके बगल वाली कुर्सी पर उनकी मामी बैठी होती हैं. हालांकि उनकी मामी कभी प्रवचन नहीं करती हैं.

जम्मू कश्मीर चुनाव में हार के बाद क्या होगा पीडीपी और इंजीनियर रशीद का सियासी भविष्य?

बेतहाशा शराब पीने और अफ़ीम की लत ने मोहम्मद शाह को अपनी सल्तनत ही की तरह अंदर से खोखला कर दिया था इसीलिए उन की उम्र छोटी ही रही.

इमेज कैप्शन, सिर्फ़ दो मुग़ल बादशाह अकबर और औरंगज़ेब का शासनकाल ही मोहम्मद शाह रंगीला के शासनकाल से लंबा था

उनमें अदा रंग और सदा रंग सबसे नामी हैं जिन्होंने ख़्याल-तर्ज़-ए-गायकी को नया मुकाम दिया जो आज भी माना जाता है.

हालांकि, अतीत में मंदिर के विध्वंस और अन्य हमलों के कारण कई परंपराएं बाधित हुई थीं. अब, मंदिर प्रशासन पुनः इन परंपराओं को स्थापित करने का प्रयास कर रहा है. विजयदशमी के मौके पर शस्त्र पूजन की परंपरा की शुरुआत इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

यह दिन शस्त्र और शास्त्र दोनों के लिए प्रसिद्ध है. शस्त्र हमें सुरक्षा प्रदान करते हैं, जबकि शास्त्र जीवन जीने के तरीके सिखाते check here हैं. दोनों का महत्व अलग-अलग है लेकिन समान रूप से आवश्यक हैं.

कला केंद्र की वीथिका (गैलरी) में उनकी तस्वीरें इस नाटिका के समृद्ध इतिहास की गवाही हैं. इसी साल श्रीराम मंदिर के उद्घाटन अवसर पर अयोध्या में 'श्रीराम' नृत्य नाटिका की विशेष प्रस्तुति दी गई थी.

भगवान शिव ने शस्त्रों की परंपरा की शुरुआत की थी. परशुराम जी को सभी प्रकार के शस्त्र देकर भगवान शिव ने उन्हें सशक्त बनाया. विजयदशमी पर शस्त्र पूजन की परंपरा का पालन करना आवश्यक है, ताकि ये सांस्कृतिक मूल्य जीवित रहें. मंदिर प्रशासन ने बताया कि ये परंपराएं अत्यंत प्राचीन हैं, और बाबा विश्वनाथ के धाम में हमेशा से इनका पालन होता रहा है.

उसके कोठे के आगे अमीरों और प्रभावशाली लोगों के हाथियों का वो हुजूम होता था कि ट्रैफ़िक जाम हो जाता.

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